भोजन बफे सिस्‍टम झपटे खाएं

हास्‍य कविता डॉ सुरेन्‍द्र दूबे
हमें मिला एक दावत नामा
आज रात्री को प्रीति भोज में आएं
भोजन बफे सिस्‍टम झपटे खाएं आदि आदि ........

स्‍वयं सुने हंसी के गोल गप्‍पे खाएं.............................
हमारे यहां तो बच्‍चे भी और सब लोग जितनी बार इस हास्‍य कविता के वीडियो को देखते है हर बार और जादा हंसते हैं
आदरणीय भाई डॉ. सुरेन्‍द्र दूबे दिन दुनिया देश परदेश को जमाने से हंसाते चले आ रहे है। सम्‍प्रति‍ - छत्‍तीसगढ़ी राजभाषा आयोग में सचिव के रूप में कार्यरत

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